Sunday, May 19, 2024
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होमउत्तर प्रदेशवाराणसीप्राणवायु लेने निकली ऑक्सीजन एक्सप्रेस, वाराणसी कैंट स्टेशन से गुजरा डीबीकेएम रैक

प्राणवायु लेने निकली ऑक्सीजन एक्सप्रेस, वाराणसी कैंट स्टेशन से गुजरा डीबीकेएम रैक

जन सागर टुडे संवाददाता : सूरज सिंह
वाराणसी / ऑक्सीजन की किल्लत दूर करने के लिए निकली ऑक्सीजन एक्सप्रेस गुरुवार को दोपहर 1.35 बजे कैंट स्टेशन स्थित प्लेटफार्म नंबर पांच से रवाना हुई। क्षणिक ठहराव के दौरान यहां ट्रेन के डीजल इंजन में फ़्यूलिंग कराया गया। 16 वैगन की क्षमता के डीबीकेएम रैक पर महज तीन ऑक्सीजन कंटेनर ट्रक लोड हुए थे। मौके पर मौजूद रेलवे विद्युत विभाग व यांत्रिक विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों ने ट्रेन को सकुशल रवाना किया गया। ट्रेन आगमन से पहले सुरक्षा के दृष्टिकोण से ओवर हेड इलेक्ट्रिक (ओएचई) लाइन मे विद्युत आपूर्ति रोक दी गई थी। वहीं, रैक पर रखे वाहनों की ऊँचाई को ऊपर से गुजरने वाले तार को और ऊंचा किया गया।
बोकारो से ऑक्सीजन लेकर लौटेगा रैक

एक दिन पहले लखनऊ से रवाना बीडीकेएम रैक गुरुवार को वाराणसी प्रस्थान हुआ। यह रैक पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन (मुगलसराय) के रास्ते बोकारो पहुचेगा। जहां लिक्विड ऑक्सीजन लोड करके लौट आएगा। रेलवे मंत्रालय ने अस्पतालों में ऑक्सीजन के संकट से निपटने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस चलाने का निर्णय लिया था। डीआरएम संजय त्रिपाठी ने बताया कि खाली टैंकर ले जाने में सावधानी बरतनी होती है, इसलिए ट्रायल किया गया। रैक के ब्रेक सिस्टम को देखते हुए गति 50 से 55 किमी प्रतिघंटा ही रखी जाएगी। हालांकि, जब ऑक्सीजन एक्सप्रेस लौटेगी तो रफ्तार 5 से 15 किमी तक बढ़ाई जा सकती है। पूरे रूट को ग्रीन कॉरिडोर के रूप में बनाया गया है |रवि प्रकाश ने कहा कि लखनऊ मंडल मुख्यालय से डीआरएम का निर्देश मिला है कि तैयारी पूरी कर ली जाएं। इस क्रम में कैंट स्टेशन के माल गोदाम के प्लेटफॉर्म काे अपडेट किया गया। आक्सीजन टैंकर उतरने के लिए रैप बनाया गया। लखनऊ से आए रैक से मालगोदाम शेड पर बने रैंप के समीप ऑक्सीजन लदे वाहनों के लोड व अनलोड करने का किया जाएगा। इसके बाद यह रैक लखनऊ भेज दिया गया। ऑक्सीजन एक्सप्रेस का रैक बनारस पहुंचने के बाद ऑक्सीजन से भरे टैंकरों को प्लेटफार्म पर उतार कर जिला प्रशासन के हवाले करना है। आगे की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है। जिसके लिए जिलाधिकारी को कोऑर्डिनेटर बनाया गया है। ऑक्सीजन से भरे टैंकर किस प्लांट में जाएंगे, किस अस्पताल में लगाए जाएंगे, यह सब जिला प्रशासन तय करेगा

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