Saturday, July 27, 2024
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नर सेवा नारायण सेवा का संदेश देती है अक्षय तृतीया: पंडित शिवकुमार शर्मा

जनसागर टुडे संवाददाता

अक्षय तृतीया का पर्व हिंदुओं में सबसे महत्वपूर्ण  उत्सव है।अक्षय का अर्थ होता है कभी क्षय अर्थात नष्ट न होने वाला। वैशाख शुक्ल तृतीया को मनाया जाने वाला अक्षय तृतीया का पर्व  भगवान विष्णु को समर्पित है ।

ऐसा माना जाता है कि नारायण का स्वरूप मनुष्यों के रूप मे  देखने से  विश्व का ही कल्याण नहीं होता बल्कि आत्म कल्याण भी होता है। इस अवसर पर किया गया पुण्य अक्षय होता है।

स्वामी विवेकानंद ने कहा था -दीन देवो भव , दरिद्र देवो भव । अर्थात दीन और दरिद्र देवता के समान होते हैं। उनकी सहायता और सेवा करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है। आज कोरोनावायरस के इस विषम काल में जबकि सारी मानवता त्राहि-त्राहि कर रही हैं

तो ऐसे अक्षय तृतीया के पर्व पर मानवता की सेवा करने का प्रण लेना चाहिए।असहाय, दरिद्र  व गरीब व्यक्ति की सेवा करने से  नारायण की कृपा जल्दी होती है। इसलिए कहा गया है, नर सेवा नारायण सेवा। यदि ईश्वर की कृपा से आप सामर्थ्यवान  हैं। ईश्वर ने आपको इस योग्य बनाया है

कि आप दूसरों की सहायता कर सकें तो ऐसे इस महामारी काल  से अच्छा समय दूसरों की सहायता करने  में नहीं हो सकता है। श्रीमद भगवत गीता में भगवान कृष्ण ने दीन दुखियों की सहायता करने को ही सबसे बड़ा मानव धर्म बताया है। सुपात्रं मे दीयते दानम्दान की महत्ता बताते हुए नीति शास्त्र कहते हैं कि दान वही सार्थक होता है जो सुपात्र को दिया जाए।

आजकल कोरोना महामारी  के कारण  अनेक गरीब व मजदूर बेघर हुए हैं ,उनके आजीविका  छूट गई है। ऐसे लोगों की उचित रूप से सहायता करना वह उनका पुनर्वास करना  भी एक सबसे बड़ा मानव धर्म है।

आज ऑक्सीजन और वैक्सीन के बिना प्रतिदिन हजारों लोग मारे जा रहे हैं संक्रमण बहुत भयंकर गति से फैल रहा है। ऐसे  विषम काल में अपने सामर्थ्य के अनुसार उन लोगों के लिए ऑक्सीजन , चिकित्सा सुविधा आदि की व्यवस्था करना भी मानवता की बड़ी सेवा है।

अस्पतालों में भी चिकित्सकों को अपना चिकित्सा धर्म अपनाकर मानवता की रक्षा करनी चाहिए।आयुर्विज्ञान ग्रंथों  में कहा गया है कि मनुष्यों की जान बचाने से बड़ा धर्म कोई नहीं है। आज के इस युग में कुछ अस्पताल  व कुछ अवांछित तत्व दवाइयों की कालाबाजारी कर रहे हैं और मरीजों से धन लूट रहे हैं। जब मानवता के प्रति घृणित अपराध है ।

आयुर्वेद आदेश करता है कि मानव धर्म का निर्वहन करते हुए मानवता की सेवा का अवसर आया है तो  उसे अपने हाथ से न जाने दें और उनके लिए जैसा भी बने, चिकित्सा , औषधि,भोजन,वस्त्र आदि  से उनकी सहायता करें।
कुछ सामाजिक संगठन  भी अब  क्षेत्र में बहुत सराहनीय कार्य कर रहे हैं ।जगह जगह पर कोविड सेंटर खोल कर  मानवता की सेवा के लिए एक अपना उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं ।

ऐसे लोगों की भी सहायता करें और उनको धन आदि की सहायता करके प्रोत्साहित करें ।आज अक्षय तृतीया के पर्व पर यह संकल्प लें कि भगवान नारायण को तेरी प्रसन्न करना चाहते हैं  तो नारायण का एक रूप दीन दुखियों की सेवा में  भी  देखें । उनकी यथासंभव सहायता करें। तभी नारायण भगवान आपसे शीघ्र प्रसन्न होंगे।

पंडित शिवकुमार शर्मा, आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषाचार्य
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