Sunday, May 19, 2024
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प्रोनिंग तकनीक कोरोना प्रभावितों को बचाने का बेहतर तरीका : डा. संतराम वर्मा

होम आइसोलेशन में अपनाई जा सकती है प्रोनिंग तकनीक

नोएडा ।  कोविड-19 पाजिटिव के इलाज में प्रोनिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें उपचाराधीन को पेट के बल लिटाया जा रहा है। दरअसल, यह एक बेहद पुरानी तकनीक है जिसे प्रोनिंग कहते हैं, इससे सांस लेने में समस्या होने वाले मरीज़ों को फ़ायदा होते हुए देखा गया है। इस मुद्रा में लेटने से फेफेड़ों तक ज़्यादा ऑक्सीजन पहुंचती है। होम आइसोलेशन के दौरान यदि ऑक्सीजन कम होने की दिक्कत आये तो इस तकनीक को अपनाया जा सकता है।
वरिष्ठ परामर्शदाता डा. संतराम वर्मा ने बताया – प्रोनिंग तकनीक कोरोना काल में उपचाराधीनों के लिये काफी फायदेमंद साबित हो रही है। इस तकनीक में मरीज़ों को प्रोन पोजिशन (पेट के बल) में लिटाया जाता है, जब ऐसे मरीज़ों को ऑक्सीजन दी जाती है तो वह भी कई बार पर्याप्त नहीं होती है ऐसी स्थिति में उनको पेट के बल लिटाते हैं, चेहरा नीचे रहता है, इससे उनका फेफड़े का फैलाव बढ़ता है।
उन्होंने बताया इंसानी फेफड़े का भारी हिस्सा पीठ की ओर होता है इसलिए जब कोई पीठ के बल लेटकर सामने देखता है तो फेफड़ों में ज्यादा आक्सीजन पहुंचने की संभावना कम होती है। इसकी जगह अगर कोई प्रोन पोजिशन में लेटे तो फेफड़ों में ज़्यादा ऑक्सीजन पहुंचती है और फेफड़े के अलग-अलग हिस्से काम करने की स्थिति में होते हैं। उन्होंने बताया इस तकनीक को अपनाने से बदलाव दिखता है। इस तकनीक से काफी मरीज़ों को फ़ायदा मिलते देखा है।एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) वाले कोविड-19 प्रभावितों के लिए मार्च महीने में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने 12 से 16 घंटे तक प्रोनिंग की अनुशंसा की थी। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक़ यह तकनीक बच्चों के लिए भी इस्तेमाल हो सकती है लेकिन इसे सुरक्षित करने के लिए प्रशिक्षित लोग और अतिरिक्त विशेषज्ञता चाहिए।
डा. वर्मा ने बताया जिले के अस्पतालों में आक्सीजन की समस्या चल रही है। अस्पतालों में भर्ती मरीजों पर यह तकनीक अपनायी जा रही है, जिससे भर्ती मरीजों को काफी लाभ मिल रहा है। उन्होंने बताया वर्तमान में अपने को फिट रखने के लिये इस तकनीक का प्रयोग घर में कर सकते हैं। इससे स्वास्थ्य ठीक रहेगा । सांस लेने में भी किसी तरह की परेशानी से बचा जा सकता है।इस प्रक्रिया को तब अपनाना है जब कोरोना प्रभावित को सांस लेने में परेशानी हो रही हो और ऑक्सीजन लेवल 94 से कम हो जाए। अगर होम आइसोलेशन में हैं तो समय-समय पर अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें। इसके अलावा, बुखार, ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर भी समय-समय पर मापते रहें। समय पर सही प्रक्रिया के साथ प्रोनिंग कई लोगों की जान बचाने में मददगार साबित हुई है।

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