Thursday, April 25, 2024
No menu items!
spot_img
spot_img
होमदेशग्रह-नक्षत्रों के संयोग से जानिए कब शुरू हो रहा है दिवाली का...

ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से जानिए कब शुरू हो रहा है दिवाली का उत्सव

पांच दिनों तक चलने वाला दीपोत्सव इस बार चार दिनों का ही होगा। 13 नवंबर को धनतेरस, 14 को नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) और दिवाली, 15 को अन्नकूट महोत्सव व गोवर्धन पूजा एवं 16 नवंबर को भाई दूज मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार दिवाली पर सुबह आयुष्मान योग, शोभन एवं सिद्धि नामक महा औदायिक योग बन रहे हैं, जो सिद्धियों को प्रदान करने के साथ ही ऐश्वर्य में वृद्धि करने वाला साबित होगा।

deep_jstnews
deep_jstnews

पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, इस साल दीपोत्सव 13 नवंबर से प्रारंभ होकर 16 नवंबर को भाई दूज के साथ समाप्त होगा। मान्यता है कि जिस दिन सूर्यास्त के बाद एक घड़ी अधिक तक अमावस्या तिथि रहे उस दिन दिवाली मनाई जाती है। इस साल अमावस्या की तिथि 13 नवंबर को दोपहर दो बजकर 18 मिनट से प्रारंभ होगी, जोकि 15 नवंबर की सुबह 10 बजकर 37 मिनट तक रहेगी।

ऐसे में 14 नवंबर का दिन महालक्ष्मी पूजन के लिए उपयुक्त रहेगा। 15 नवंबर को सुबह 10 बजकर 37 मिनट के बाद गोवर्धन पूजन व अन्नकूट महोत्सव मनाया जाएगा। 16 नवंबर को प्रतिपदा सुबह सात बजकर छह मिनट तक है। उसके बाद द्वितीय तिथि प्रारंभ हो जाएगी। इस तिथि में भाई दूज मनाई जाएगी।

diwali111_jstnews
diwali111_jstnews
ऐसे करें माता लक्ष्मी की पूजा

ज्योतिषाचार्य मनीष मोहन के अनुसार, एक चौकी लें उस पर साफ कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी की प्रतिमा रखें। मूर्तियों का मुख पूर्व या पश्चिम की तरफ होना चाहिए। हाथ में गंगाजल लेकर प्रतिमाओं पर छिड़कें। इसके बाद मां पृथ्वी को प्रणाम करें और आसन पर बैठकर हाथ में गंगाजल लेकर पूजा करने का संकल्प लें। एक जल से भरा कलश लें जिसे लक्ष्मी जी के पास चावलों के ऊपर रखें। कलश पर मौली बांधकर ऊपर आम का पल्लव रखें। साथ ही सुपारी, दूर्वा, अक्षत, सिक्का रखें। इस कलश पर एक नारियल रखें।

LakshmiPuja_jstnews
LakshmiPuja_jstnews

नारियल लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि उसका अग्रभाग दिखाई देता रहे। यह कलश वरुण का प्रतीक है। सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। फिर लक्ष्मी जी की आराधना करें। देवी सरस्वती, भगवान विष्णु, मां काली और कुबेर की भी पूजा करें। पूजा करते समय 11 या 21 छोटे सरसों के तेल के दीपक और एक बड़ा दीपक जलाना चाहिए। भगवान को फूल, अक्षत, जल और मिठाई अर्पित करें। अंत में गणेश जी और माता लक्ष्मी की आरती उतार कर भोग लगाकर पूजा संपन्न करें।

- Advertisement -spot_img

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

- Advertisment -spot_img

NCR News

Most Popular

- Advertisment -spot_img