जनसागर टुडे
आजमगढ़ – स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर घोरथ बाबा कॉलोनी स्थित अवधेश एकेडमी एंड स्कूल आजमगढ़ का वातावरण सुबह से ही देशभक्ति के रंग में रंग गया था। चारों ओर तिरंगे लहरा रहे थे, बच्चों के हाथों में झंडियां थीं, और राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत गीत वातावरण में गूंज रहे थे। कार्यक्रम का शुभारंभ ध्वजारोहण से हुआ, जब Managing Director श्री अवधेश यादव ने गर्व से तिरंगा फहराया। जैसे ही तिरंगा हवा में लहराया, “जन गण मन” की धुन पूरे परिसर में गूंज उठी और सभी की आंखें गर्व और भावनाओं से चमक उठीं।
अपने संबोधन में श्री अवधेश यादव जी ने कहा — “हमारे अधिकार जितने ज़रूरी हैं, उतना ही ज़रूरी है कि हम अपने कर्तव्यों को भी समझें। हमें अपने शहीदों के बारे में पढ़ना चाहिए, उनके संघर्षों को जानना चाहिए। और अगर हम व्यस्तता के कारण हमेशा नहीं कर पाते, तो कम से कम राष्ट्रीय पर्वों पर समय निकालकर अपने गौरवशाली अतीत से जुड़ना चाहिए, ताकि हमें पता चले कि हमारी आज़ादी की कीमत क्या है।”
प्रधानाचार्या श्रीमती मारिया शेख ने बच्चों को आज़ादी के महत्व को महसूस कराते हुए कहा — “गुलामी का जीवन ऐसा था जिसमें इंसान हर रोज़ जीते-जी मरता था। आज हम ‘आज़ादी’ को सिर्फ एक शब्द मान लेते हैं, लेकिन इसके पीछे करोड़ों भारतीयों की कुर्बानियां, टूटा हुआ बचपन, उजड़े हुए घर और अधूरी जिंदगियां हैं। यह वो दर्द है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते।” उनकी बातों से माहौल भावुक हो उठा और कई लोग गहरी सोच में डूब गए।
श्री मनोज उपाध्याय ने कहा — “हम आज़ाद होकर भी अक्सर देश से शिकायत करते हैं कि हमें क्या मिला, लेकिन शायद इसलिए क्योंकि हमने वो गुलामी देखी ही नहीं, वो बेबसी महसूस नहीं की। अगर हम उस दौर को महसूस करें तो हमें अपनी हर सांस का मोल समझ में आएगा।”
इसके बाद बच्चों की प्रस्तुतियों का सिलसिला शुरू हुआ। किसी ने पहलगाम हमले की घटना को मंच पर जीवंत कर दिया, तो किसी ने रानी लक्ष्मीबाई की शौर्यगाथा सुनाकर सभागार में जोश भर दिया। मंच पर देशभक्ति के गीत गूंजते रहे, जिन पर बच्चों ने नृत्य कर दर्शकों का दिल जीत लिया। साथ ही, कृष्ण जन्माष्टमी की झांकियों में नन्हे-कन्हैया और राधा के रूप में सजे बच्चों ने भक्तिमय वातावरण बना दिया।
पूरा परिसर तिरंगे, रोशनी, देशभक्ति और भक्ति के रंगों से सराबोर था। कार्यक्रम के अंत में सभी ने एक स्वर में ‘भारत माता की जय’ के उद्घोष के साथ इस यादगार दिन को संकल्पों के साथ विदा किया।