(पर्यावरण दिवस पर विशेष) *पर्यावरण की सुरक्षा करना हर मनुष्य की जिम्मेदारी*
पर्यावरण हमारी जिंदगी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चाहे बात खाने के अनाज की हो, रहने के मकान की हो , पहनने के कपड़े की हो या फिर पानी, सूर्य की रोशनी, शुद्ध हवा की हो ये सब कुछ पर्यावरण पर निर्भर करता है । इसलिए जब पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है तो उसका कहीं ना कहीं प्रभाव मानव, जीव ,जंतु और पादपो पर पड़ता है । पर्यावरण की सुरक्षा हम सब इन्सानों की बनती है। औद्योगिक विकास की रफ्तार से पर्यावरण को खतरा ही नहीं वरन् समाप्त करने का काम किया है। हम कह सकते हैं कि विकास की अंधी दौड़ में पर्यावरण को खतरा उत्पन्न न किया है। वर्तमान में ऊर्जा को बचाने, क्लाइमेट चेंज, शुद्ध पानी का अभाव, वनों व भूमिका कटाव इत्यादि मानव के कृतियों का ही परिणाम है। औद्योगिक विकास की अंधी दौड़ में आज मनुष्य जिस तरह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। वह किसी से छुपा नहीं है ।
ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से लेकर ग्लेशियर के पिघलने या फिर तीव्र गति से बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण आदि मानव के कुकृत्यों का ही परिणाम है।
तीव्रता से बढ़ रही जनसंख्या, आर्थिक विकास , औद्योगिकरण में विकास, के शहरीकरण में अनियंत्रित वृद्धि जल की कमी तथा जंगलों का नष्ट होना इत्यादि प्रमुख पर्यावरण संबंधी कारण है। जिनके कारण मानव जीवन पर और पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है। भारत में वन क्षेत्र इसके भौगोलिक क्षेत्र का 18.34 प्रतिशत है। यह औसत वन क्षेत्र से कम होने के कारण वातावरण का तापमान बढ़ता जा रहा है। भारतीय नागरिकों पर्यावरण संरक्षण के प्रति गंभीरता से मंथन करना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी सभी भारतवासियों को उठानी चाहिए। कृषि योग्य जमीन में गिरावट आ रही है । संसाधनों में भी की कमी हो रही है। शुद्ध जल का अभाव हो रहा है। पर्यावरण संबंधी समस्याओं के चलते असमय प्राकृतिक आपदाओं का आना , कार्बन डाइऑक्साइड में वृद्धि, जीव, जन्तुओं और पादपों की प्रजातियां विलुप्त होती जा रही है। पर्यावरण के बैलेंस बिगड़ने से ही परिणाम मनुष्य की विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के कारण भूमि, वायु ,जल और उसमें निवास करने वाले जीवों के लिए गहरा खतरा उत्पन्न हो गया है। पर्यावरण प्रदूषित होने से वातावरण पूरी तरह बदल गया है। इसके दुष्परिणाम के कारण मानव स्वास्थ्य की समस्या , सामाजिक कल्याण के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है। भारत में भूमि , जल, हवा में हानिकारक स्थिति उत्पन्न हो रही है। प्रदूषित पर्यावरण होने के कारण उत्पन्न जैविक संदूषण, स्वास्थ्य के लिए भारी समस्या है। पर्यावरण प्रदूषण से बचाव के लिए मनुष्य को कुछ विशेष कार्य करने चाहिए जैसे-
* मनुष्य को अत्यंत गंभीरता के साथ अत्यधिक पेड़ लगाने होंगे।
* प्रकृति में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन करने से बचना होगा।
* प्लास्टिक की चीजों के प्रयोग करने से बचना होगा।
* यदि प्लास्टिक दैनिक जीवन में प्रयोग करनी है तो सिंगल यूज प्लास्टिक दैनिक जीवन में प्रयोग करनी होगी।
* कूड़े कचरे को खुले में फेंकने से बचना होगा।
* वर्षा जल को संचय करना होगा।
* पेट्रोल डीजल बिजली के अलावा हमें अन्य विकल्प ढूंढ़ने होंगे ।
* सौर ऊर्जा व पवन ऊर्जा के प्रयोग पर अत्यधिक बोल देना होगा।
* अनावश्यक और अनुपयोगी गोवंश ध्वनियों पर रोक लगानी होगी।
मनुष्य को अपनी पृथ्वी को बचाने ,उसकी हिफाजत रखना उसके संरक्षण के लिए सकारात्मक सोच उत्पन्न करने होगी तथा नि:स्वार्थ होकर पर्यावरण प्रदूषण से बचने के कार्य करने होंगे। मनुष्य को आत्म बल, आत्म शक्ति और आत्मनिर्णय की भावना उत्पन्न करनी होगी । हम स्वयं अपने आप को ,अपने परिवार को, देश को और इस पृथ्वी को सुरक्षित व संरक्षित करेंगे तभी हमारी धरती सुरक्षित और संरक्षित रहेगी।
सुंदरलाल बहुगुणा ने ठीक ही कहा है कि , “आज हमारे समय सामने आ रही तमाम समस्याओं का समाधान प्रकृति और मानव के बीच संबंधों में छिपा है। इस संबंध को बेहतर बनाने के लिए हमें विकास की उचित परिभाषा को समझना होगा।
एक आंकड़े के अनुसार 550 लीटर शुद्ध ऑक्सीजन स्वस्थ व्यक्ति के प्रति दिन चाहिए । 117 लीटर ऑक्सीजन हर साल बनती है । औसत आकार की पत्तियां 30 प्रतिशत से अधिक आक्सीजन छोड़ती है। ऑक्सीजन बन एस अन्य पेड़ों के मुकाबले 100% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है पीपल । जबकि बरगद 80% और नीम 70% कार्बन डाइऑक्साइड को सोख लेता है। 24 घंटे ऑक्सीजन पीपल और तुलसी छोड़ते हैं । इसलिए नागरिकों को पीपल, तुलसी,नीम, बरगद जैसे पेड़ पौधों को अधिक लगाना चाहिए।
निष्कर्ष: पर्यावरण सुरक्षा के लिए समस्त भारत वासियों को आत्म बल उत्पन्न करना होगा कि उन्हें हर सूरत में पैड पौधे लगाने होंगे। भारत भूमि पर कम-से-कम 33% वन लगाने चाहिए।उनका संरक्षण करना चाहिए। हरी भरी पृथ्वी,स्वर्ग धरती पर। आज विश्व के मानव समुदायों को पर्यावरण के प्रति जागरूकता दिखानी होगी। मानव समाज में पर्यावरण के प्रति जन जागरूकता अभियान चलाकर मानव समाज को सचेत करना होगा। ध्यान दें पर्यावरण सुरक्षित तो मानव सुरक्षित है।
लेखक
सत्य प्रकाश
( प्राचार्य)
डॉ बी आर अंबेडकर जन्म शताब्दी महाविद्यालय धनसारी छर्रा अलीगढ़।