Friday, May 3, 2024
No menu items!
spot_img
spot_img
होमसमाचारमां दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं मां चंद्रघंटा

मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं मां चंद्रघंटा

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है। यह मां दुर्गा तीसरा स्वरूप है। बाघ पर सवार मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। दस भुजाओं वाली देवी के हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र विभूषित है। आइए जानते हैं मां दुर्गा ने यह अवतार क्यों धारण किया।

jst_news
jst_news

कहते हैं जब दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा तो मां दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का अवतार लिया। उस समय असुरों का स्वामी महिषासुर था जिसका देवताओं से भंयकर युद्ध चल रहा था। महिषासुर देव राज इंद्र का सिंहासन प्राप्त करना चाहता था। उसकी प्रबल इच्छा स्वर्गलोक पर राज करने की थी। उसकी इस इच्छा को जानकार सभी देवता परेशान हो गए।
इस समस्या से निकलने का उपाय जानने के लिए भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सामने उपस्थित हुए। देवताओं की बात को गंभीरता से सुनने के बाद तीनों को ही क्रोध आया। क्रोध के कारण तीनों के मुख से जो ऊर्जा उत्पन्न हुई। उससे एक देवी अवतरित हुईं। जिन्हें भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल और भगवान विष्णु ने चक्र प्रदान किया। इसी प्रकार अन्य देवी देवताओं ने भी माता के हाथों में अपने अस्त्र सौंप दिए।

jst_news
jst_news

देवराज इंद्र ने देवी को एक घंटा दिया। सूर्य ने अपना तेज और तलवार दी, सवारी के लिए सिंह प्रदान किया। इसके बाद मां चंद्रघंटा महिषासुर के पास पहुंची। मां का ये रूप देखकर महिषासुर को ये आभास हो गया कि उसका काल आ गया है। महिषासुर ने मां पर हमला बोल दिया। इसके बाद देवताओं और असुरों में भंयकर युद्ध छिड़ गया। मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का संहार किया और देवताओं को उसके आतंक से मुक्त किया।

 

- Advertisement -spot_img

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

- Advertisment -spot_img

NCR News

Most Popular

- Advertisment -spot_img