ड्रग्स के सेवन को लेकर बड़े स्तर पर काफी हंगामा देखने को मिलता है, सबसे पहले हम आपको बता दे इसका उपयुग दवाईयों मे भी किया जाता है, और कई लोग इसे नशा करने के लिए भी इसतेमाल करते है।
लोगो का कहना है की ड्रग्स का सेवन करने से स्ट्रैस कम होता है, पर इस बारे में मैक्स हॉस्पिटल पटपड़गंज के सीनियर सायकाइट्रिस्ट डॉक्टर राजेश कुमार का कहना है कि कोई भी ड्रग हमारे ब्रेन के मिड पार्ट में पहुंचने पर प्लेजर ऐक्टिविटीज के सर्किट में जाकर काम करता है। आमतौर पर ब्रेन का यह हिस्सा सेक्स, फूड, प्लेजर ऐक्टिविटीज, म्यूजिक आदि के कारण ऐक्टिव होता है। ड्रग्स भी ब्रेन के इसी सर्किट पर काम करता है और ड्रग लेने के बाद हाई फील होने लगता है।
क्या होती है हाई फीलिंग?
हाई फील करने के दौरान लोग खुद पे काबू नही कर पाते है और चुसत महसूस करते हैं। इस दौरान लोग आस-पास के माहौल से कट जाते हैं और तनाव देनेवाली बातों को भूल जाते हैं, इसका सेवन करने से कुछ समय के लिए नींद और थकान भी गायब हो जाती हैं।
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हाई फील में होते हैं ‘लो’ काम
व्यक्ति जब हाई फील करता है तो उसको किस काम को करना है और किसे नहीं उसे यह तय करने में भी मुश्किल होती है। इस कारण उनका व्यवहार सामान्य स्थिति की अपेक्षा में बहुत अधिक बदल जाता है। इस अवस्था में लोग रेप, ऐक्सिडेंट, चोरी और दूसरे इंपल्सिव बिहेवियर करने लगते हैं। इस दौरान व्यक्ति ऐसे काम नहीं कर पाता है, जिनमें पूरी तरह सजगता की जरूरत होती है।
फन के लिए लेते हैं
आमतौर पर एडिक्शन के शिकार लोग ड्रग्स का सेवन फन के लिए करते हैं। लेकिन लोग अपने ड्रग्स अडिक्शन का कारण हमेशा अपने ऊपर ना लेके किसी और को दोषी ठहराते हैं। जैसा कि इन देशों में तो लीगलाइज है ड्रग्स लेना, इसलिए भारत में भी इन्हें लेने की छूट होनी चाहिए। जबकि उन्हें बात की जानकारी नहीं होती है कि जिन देशों में इन ड्रग्स पर पाबंदी नहीं है, वहां भी मेंटल इलनेस के इलाज के लिए इन ड्रग्स का सेवन नहीं किया जाता है। इसे सायकॉलजी की भाषा में डिफेंस मैकेनिज़म कहा जाता है।
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हर प्रफेशन में है स्ट्रेस
डॉक्टर राजेश कहते हैं कि जितना स्ट्रैस आपको सफलता के स्तर पर पहुंचने के लिए लेना पड़ता है, उससे अधिक स्ट्रैस आपको सफलता की ऊंचाइयों पर बने रहने के लिए लेना पड़ता है। इस कारण लोग अपने स्ट्रैस को कम करने के लिए ड्रग्स का सेवन करते है।
स्ट्रेस से बचने के लिए क्या करें
डॉक्टर राजेश के अनुसार, स्ट्रेस कम करने के कई दूसरे तरीके होते हैं, जो शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने का काम करते हैं। इनमें माइंडफुलनेस प्रैक्टिस, मेडिटेशन, योगा और अन्य स्प्रिचुअल प्रैक्टिस की जा सकती हैं और सायकाइट्रिस्ट से ट्रीटमेंट, सायकॉलिजस्ट से काउंसलिंग या स्प्रीचुअल काउंसलिंग ले सकते हैं। ये सभी स्ट्रेस से लड़ने के हेल्दी तरीके हैं।
यदि कोइ तनाव कम करने के लिए ड्रग्स लेता हैं तो बस कुछ देर के लिए अपने स्ट्रेस को दूर कर पाता हैं। लेकिन इसके साथ ही खुद को अन्य समस्याओं में झोंक देता हैं। इनमें मेंटल और फीजिकल दोनों तरह की बीमारियां शामिल हैं।