जनसागर टुडे संवाददाता
गाजियाबाद। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में जहां मरीज ऑक्सीजन व अन्य जीवन रक्षक दवाइयों की कालाबाजारी में तड़प तड़प पर जान दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर पैसे कमाने की अंधी दौड़ में शामिल कारोबारी बाजार में सैनिटाइजर के नाम पर नीले पानी का काला कारोबार कर लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। आपदा में अवसर तलाशना कोई इन लोगों से सीखे, लोगों को मूर्ख बनाकर सैनिटाइजर की जगह नीले पानी में खुशबू व केमिकल मिलाकर अनाप-शनाप दामों में बेचा जा रहा है।
जब से कोरोना की दूसरी लहर ने पांव पसारे हैं तभी से बाजार में खुशबूदार और अल्कोहल की गंध वाला नीले रंग का पानी धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। 50 मिलीलीटर से लेकर 5 लीटर के कैन में उपलब्ध है। शहर की जानी-मानी दवा मार्केट नई बस्ती सहित अन्य बाजार व मेडिकल स्टोर पर खुशबूदार नीला पानी आसानी से मिल जाएगा। थोक मार्केट में 5 लीटर कैन की कीमत डेढ़ सौ से लेकर 200 तक है लेकिन ग्राहकों को यही सैनिटाइजर 500 से लेकर 2000 रुपए तक में बेचा जा रहा है। नीला रंग व गंध डालकर मानक के अनुरूप सैनिटाइजर ना बनाने वाले लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।
5 मीटर की कैन में 2 से 4% ही अल्कोहल डाला जा रहा है इथेनॉल आइसोप्रोपिल अल्कोहल युक्त हैंड सेनीटाइजर का इस्तेमाल सुरक्षित है जबकि मिथाइल अल्कोहल से तैनात किया सैनिटाइजर नुकसानदेह है। मिथाइल अल्कोहल जहरीला होता है जो त्वचा के संपर्क में आते ही एलर्जी पैदा करता है। आंखों और सांसों के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंचकर नुकसान पहुंचा सकता है।जब कि अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर के इस्तेमाल से खुजली सूखापन लाल दाने जलन के मामले बढ़े हैं ।
लोग जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करने व बाजार से सस्ते में खरीद कर खुद को नुकसान पहुंचा रहे हैं। चिकित्सकों की सलाह है कि सस्ते से सेनेटाइजर से दूर रहें।सैनिटाइजर ज्वलनशील होता है इसे आग और गर्म स्थान से दूर रखें तथा अच्छी कंपनी का सैनिटाइजर ही प्रयोग करें।