Tuesday, October 14, 2025
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होमराज्यउत्तर प्रदेशमैं झूठा ही सही , मगर तुझे तो अच्छा हूं, मत रहना...

मैं झूठा ही सही , मगर तुझे तो अच्छा हूं, मत रहना किसी वहम में, की मैं अभी बच्चा हूं,

मैं झूठा ही सही ,
मगर तुझे तो अच्छा हूं,
मत रहना किसी वहम में,
की मैं अभी बच्चा हूं,

सही गलत की परख है मुझमें,
इस दुनिया की समझ है मुझमें,
मत जान मुझे नादान तू,
मैं नहीं, बईमान है तू,

मेरी उम्र पर मत जा,
मैने जमाना देखा है,
यहां भरी अदालतों में,
झूठों को बनते सच्चा देखा है,

माना यहां कानून के आंखों पर पट्टी है,
उसे कुछ दिखाई नहीं देता,
पर वो इतना अंधा नहीं है,कि उसे कुछ सुनाई नहीं देता,

तू लाख करले जतन जुर्म की हद तक,
जमाना देख रहा है तुझे न जाने किस हद तक,
ये तेरा झूठ है,
जिसे तू चला रहा है,
मगर सच अपने आप चलता है,
उसे चलना नहीं पड़ता,
अंधा लाठी के सहारे चल लेता है,
उसे रास्ता दिखाना नहीं पड़ता,

उस दिन अहसास होगा तुझे,
मेरी अच्छाइयों का,
जिस दिन अंत होगा तुझसे
तेरी बुराइयों का।

ये बनावटी दुनिया है,
दिखाई कुछ ओर देती है,
अंतर्मन में झांक के देख,
सुनाई कुछ ओर देती है,

मेरी उम्र, मेरा अनुभव, मेरा ये ख्याल है,
तुझे समय खुद देगा जबाव,
तेरे जितने भी सवाल है।


लेखक व शब्दांश
विवेक कुमार कर्दम

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