Monday, June 2, 2025
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शहीदों की स्मृति में जिला पंचायत गौतमबुद्धनगर के प्रांगण में पंचायती राज मंत्री ने किया शिलालेख का लोकार्पण

गौतमबुद्धनगर- गौतमबुद्ध द्वारा क्षेत्र के 1857 के शहीदों व आजादी के बाद में युद्धों शहीद हुए समस्त पुण्य आत्माओं के स्मरण हेतु जिला पंचायत गौतमबुद्धनगर के प्रांगण में शहीदों की स्मृति में शिलालेख का लोकार्पण किया गया !
अमित चौधरी अध्यक्ष जिला पंचायत गौतमबुद्धनगर के निर्देश पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आहवान पर चलाये जा रहे मिशन सिन्दूर पर तिरंगा यात्रा के अन्तर्गत जिला पंचायत गौतमबुद्ध द्वारा क्षेत्र के 1857 के शहीदों व आजादी के बाद में युद्धों में शहीद हुए समस्त पुण्य आत्माओं के स्मरण हेतु जिला पंचायत गौतमबुद्धनगर के प्रांगण में शहीदों की स्मृति में शिलालेख का लोकार्पण ओम प्रकाश राजभर पंचायती राज मंत्री उ०प्र० सरकार के कर कमलों द्वारा, डा० महेश शर्मा, सांसद गौतमबुद्धनगर, नरेन्द्र भाटी, सदस्य विधान परिषद, तेजपाल सिंह नागर, मा० विधायक दादरी, देवा भाटी सदस्य जिला पंचायत, मोहिनी, अभिषेक शर्मा, जिलाध्यक्ष भाजपा गौतमबुद्धनगर तथा जिले के अनेक ग्राम प्रधान, सामाजिक, राजनैतिक लोगो की गरिमामय उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। कार्यकम की अध्यक्षता  अमित चौधरी अध्यक्ष जिला पंचायत गौतमबुद्धनगर द्वारा की गई। कार्यकम में सक्रिय व सार्थक प्रयास को लेकर जिला पंचायत गौतमबुद्धनगर की अपर मुख्य अधिकारी प्रियंका चतुर्वेदी, जिला पंचायत अभियन्ता भैया अमर सिंह, ऋतुनम अवर अभियन्ता, जयकुमार भाटी, प्रशासनिक अधिकारी तथा समस्त अधिकारियों , कर्मचारियों की अथक प्रयास से सफलतापूर्वक कार्यक्रम को सम्पन्न कराने के लिए मंत्री पंचायतीराज एवं समस्त अतिथिगणों द्वारा प्रशंसा की।

1857 के शहीदों व आजादी के बाद में युद्धों के शहीदों की दास्तान….

मई 1857 के भारतीय स्वाधीनता संग्राम में इस क्षेत्र मे तत्कालीन दादरी रियासत जो कि अधिकांश जनपद गौतमबुद्धनगर का भू-भाग है, ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें 1857 को महान कान्ति जिसे अंग्रेजों ने गदर कहा गांव-गांव फैल गयी थी, यहाँ रहे ग्रामीणों ने जालिम अंग्रेजी राज को चुनौती दी थी तथा लगभग एक साल तक गुलामी का निशान ही मिटा दिया था।
तत्कालीन अंग्रेज अधिकारी मिस्टर टर्नबुल की रिपोर्ट है कि दादरी के इलाके में सर्वाधक गडबडी है,
सन 1874 में बुलन्दशहर के डिप्टी कलेक्टर कुवर लक्षण सिंह ने 1857 की कान्ति का लिपिबद्ध किया वह लिखता है, दादरी रियासत के राव रोशन सिंह राव उमराव सिंह, राव बिशन सिंह, राव भगवन्त सिंह आदि ने मिलकर अग्रेजी सरकार के खिलाफ बगावत का झन्डा उठाया था। अतः इस परिवार की सारी चल-अचल सम्पत्ति सरकार द्वारा जब्त कर ली गयी और राव रोशन सिंह तथा उनके पुत्रों व भाईयो को प्राण दण्ड दे दिया गया ।
इस जन युद्ध के हिम्मतसिंह गांव (रानौली), झण्डू जमीदार, सहाब सिंह (नगला नैनसुख) हरदेव सिंह रूपराम A (बील) मजलिस जमीदार (लुहारली), फत्ता नम्बरदार (चिटहेरा), हरदयाल सिंह गहलौत दीदार सिंह (नगला समाना), राम सहाय (खगुआ बास), नवल, हिम्मत जमीदार (पैमपुर), कदम गुर्जर (प्रेमपुर), कल्लू जमीदार (चीती), करीमबख्शखान (तिलवेगमपुर), जबता खान (मुडसे) मैदा जमीदार, बस्ती जमीदार (सावली) इन्द्रसिंह भोलू गुर्जर (मसौता), मुल्की गुर्जर (हृदयपुर), मुगनी गुर्जर (सैथली), बंसी जमीदार (नगला चमरू), देवी सिंह जमीदार, (मेहसे,) दानसहाय (देवटा), वरती जमीदार (गिरधरपुर) फूल सिंह गहलौत (पारसेह), अहमान गुर्जर (बढपुरा), दरियाव सिंह (जुनेदपुर), इन्द्रसिंह (अटटा), राम स्वरूप (गुनपुरा), सुरजीत सिंह (राजपुर), सुलेख (महावड), सुरजीत सिंह (अटटा), हरदयाल सिंह रौसा, राम दयाल सिंह निर्गल सिंह (सरकपुर), बिशन सिंह (विशनपुरा), सहित 84 आदि कान्तिकारियों को अग्रेजी सरकार ने रिंग लीडर दर्ज कर भारत की आजादी के लिए प्रथम कान्ति युद्ध में बुलन्दशहर के (काला आम) पर मृत्यु दण्ड दिया गया वही अंग्रेजी सरकार द्वारा सैकडों कान्तिकारियों को काले पानी की सजा दी गई।

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