रामायण अभिरुचि, क्ले मॉडलिंग एवं चित्रकला कार्यशाला का भव्य समापन।
बुलंदशहर
दिनांक 9 मई 2025 से प्रारंभ हुई रामायण अभिरुचि, क्ले मॉडलिंग एवं चित्रकला कार्यशाला का समापन आज दिनांक 17 मई 2025 को विद्यार्थियों द्वारा तैयार की गई कलाकृतियों की भव्य प्रदर्शनी के साथ संपन्न हुआ।
यह कार्यशाला अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान एवं संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में आयोजित की गई थी। कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों में रामायण के सांस्कृतिक मूल्यों को समझना एवं कला के माध्यम से उनकी रचनात्मकता को प्रोत्साहित करना था। समापन समारोह के अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, बुलंदशहर के प्राचार्य प्रवीण कुमार उपाध्याय, डायट प्रवक्ता डॉ. ललित यादव एवं रंजीता रानी द्वारा किया गया। सभी अतिथियों ने बच्चों की कलाकृतियों की सराहना करते हुए उनके प्रयासों की प्रशंसा की।प्राचार्य प्रवीण कुमार उपाध्याय ने कहा कि “इस प्रकार की कार्यशालाएँ बच्चों की सोच और सृजनात्मकता को नया आयाम देती हैं। रामायण जैसे ग्रंथों को कला के माध्यम से समझाना एक अत्यंत प्रभावी शैक्षिक प्रयास है।”
इस अवसर पर डॉ. ललित यादव ने बच्चों से संवाद किया और उनसे उनके अनुभवों को साझा करने को कहा। बच्चों ने उत्साहपूर्वक बताया कि उन्होंने किस प्रकार से रामायण की कहानियों को अपनी कलाओं में ढालने का प्रयास किया। किसी ने श्रीराम का चित्र बनाया, तो किसी ने लंका कांड को क्ले मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया।
डॉ. ललित यादव ने कहा कि “बच्चों में छिपी रचनात्मक प्रतिभा को दिशा देने के लिए इस प्रकार की कार्यशालाएँ अत्यंत उपयोगी हैं। जब बच्चे भारतीय संस्कृति को अपने हाथों से सृजित करते हैं, तो वे उसे केवल सीखते नहीं, बल्कि आत्मसात भी करते हैं।”समारोह में प्रतिभागी विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए एवं उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की गईं। कार्यशाला ने विद्यार्थियों में न केवल कला के प्रति रुचि विकसित की, बल्कि उन्हें भारतीय संस्कृति से जोड़ने का भी एक उत्कृष्ट माध्यम सिद्ध हुई। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका भारती रोहिला, कार्यशाला समन्वयक विनीत पंवार तथा सह समन्वयक चिंतन चौधरी ने सभी का आभार व्यक्त किया।इस अवसर पर रेशु अत्री, सीमा शर्मा सहित कई शिक्षक एवं अभिभावक उपस्थित रहे।