Saturday, August 23, 2025
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पुलिस हिरासत में मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में आयोग ने दिए जांच के आदेश

गाजियाबाद ।
थाना साहिबाबाद की पुलिस चौकी शनि चौक,में एक युवक के साथ पुलिसकर्मियों द्वारा की गई मारपीट और उसे अवैध रूप से हिरासत में रखने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मानवाधिकार आयोग के समक्ष प्रस्तुत इस मामले में गंभीर अनियमितताओं की पुष्टि हुई है, जिसके बाद आयोग ने पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद को दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता अभिषेक पंडित निवासी जी ब्लॉक लाजपत नगर ने आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी कि 19 मार्च 2025 को शाम लगभग 10:35 बजे से 11:15 बजे के बीच पुलिस चौकी शनि चौक पर चौकी इंचार्ज और उनके साथी एसआई द्वारा ने उसके साथ मारपीट की गई और बिना किसी वैध कारण के उन्हें अवैध रूप से हिरासत में रखा गया। आरोप यह भी है कि 20 मार्च की रात 12 बजे उन्हें मेडिकल परीक्षण के लिए जिला अस्पताल गाजियाबाद भेजा गया। जहां रात में 12:28 बजे परीक्षण हुआ। तदुपरांत पुलिस कर्मी उसे थाने लाये और लाकअप में रखा गया।अगले दिन दोपहर 12:30 बजे आर्य समाज मंदिर से गिरफ्तार करने का झूठा रिकॉर्ड तैयार किया गया।
इस मामले में आयोग के बुलावे पर सहायक पुलिस आयुक्त श्वेता कुमारी यादव आयोग के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश हुईं और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
रिपोर्ट और उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर यह स्पष्ट हुआ कि अभिषेक पंडित पुलिस हिरासत में ही था और बाद में गिरफ्तारी दिखाना गंभीर अनियमितता है। मेडिकल रिपोर्ट, जीडी एंट्री और पुलिसकर्मियों की रिपोर्टों से इस बात पुष्ट हुई।
मानवाधिकारआयोग ने इसे मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन माना है। विशेष रूप से यह प्रश्न उठाया गया कि रात्रि 12:28 एएम से दोपहर 12:30 पीएम तक अभिषेक पंडित कहां था ? जब तक कि उसकी गिरफ्तारी औपचारिक रूप से नहीं दिखाई गई थी। शिकायतकर्ता का आरोप था कि इस दौरान भी उसके साथ मारपीट हुई थी।

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने गाजियाबाद पुलिस आयुक्त को निर्देशित किया है कि वे पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाकर दोषी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करें। साथ ही, इस संबंध में प्रगति रिपोर्ट 16 सितंबर 2025 तक आयोग को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पुलिस विभाग इस मामले में क्या कदम उठाता है और पीड़ित को क्या न्याय मिल पाता है?

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