3 जून- “विश्व साइकिल दिवस विशेष”
साइकिल चलाएं, बीमारियां भगाये, शरीर को स्वस्थ बनाएं।
हर बच्चे, बूढ़े और जवान की तमन्ना होती– साइकिल चलाना ,क्योंकि साइकिलों का 400 साल पुराना सफर अभी भी हर दिल अजीत व्यक्ति की चाहत बनी हुई है। इसलिए भी साइकिल का मजा है– कि यह सेहत की साथी ,प्रदूषण की दुश्मन और सबसे अधिक किफायती वाहन बनी हुई है, वैसे तो परिवहन के साधनों की संख्या बहुत हैं, हजारों में ,लेकिन साइकिल की बात अपनी अलग ही निराली है।
साइकिल के पुराने दिन अब वापस लौट आए हैं। कई देशों में अब साइकिल चलाने का चलन बढ़ता जा रहा है। हमारे देश में भी अब इसे गरीबी या पिछड़ेपन से जोड़ने के बजाय पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम माना जाने लगा है। अब साइकिल चलाना शोकिया तौर के साथ ही डॉक्टर और जीम ट्रेनर भी इसे नियमित रूप से चलाने की सलाह देते हैं। साइकिल चलाने वाले को निम्न दृष्टि से देखने की स्थितियां अब खत्म हो चुकी है। साइकिल में भी अब अनेक विकल्प आ चुके है, रईस लोगो को बहुत अच्छी किस्म की महंगी साइकिल चलाते हुए देखा जाता है। यही नहीं देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रीगण भी अपने-अपने सचिवालय विश्व साइकिल दिवस पर साइकिल से ही जाते हैं, वे आम जनता को यह संदेश देते हैं कि स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिए नियमित रूप से साइकिल चलाएं। जापान में तो हफ्ते के एक दिन सभी अधिकारी, नेतागण व आम जनता साइकिल का ही प्रयोग करते है।
सर्वविदित है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 जून 2018 को विश्व साइकिल दिवस मनाने की घोषणा की थी जिसका कई देशों ने समर्थन किया। पिछले कुछ वर्ष में विश्व साइकिल दिवस के दिन ही 1951 में स्थापित भारत की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी एटलस बंद हो गई थी। प्रतिवर्ष 40 लाख साइकिल उत्पादन करने वाली भारत की सबसे बड़ी दुनिया की जानी-मानी कंपनी एटलस बंद होने से साइकिल उद्योग को काफी क्षति हुई।
यदि देखा जाए तो स्वास्थ्य के लिए सबसे सुलभ व सस्ता साधन साइकिल ही है क्योंकि यह सेहत बनाने के साथ ही प्रदूषण की दुश्मन भी है। हर बच्चे का ख्वाब और सबसे किफायती कोई वाहन है तो वह केवल साइकिल ही है। साइकिल की खुशी का पैमाना 200 साल से भी पुराना है। आज जितने स्टाइलिश और नए-नए अंदाज में हमारे सामने साइकिल आ रही है वे वास्तव में कई बार परिवर्तन होकर आधुनिक युग के अनुसार बनी है।
विश्व की सबसे पहली साइकिल लकड़ी की बनी थी। इसमें लकड़ी के ही पहिए और लकड़ी के ही हैंडल थे तथा इसमें ना तो पेडल थे और ना ही चेन। जो पैदल चलकर बोझ लाद कर यात्रा करने के लिए उपयुक्त थी। ऐसे लोगों के लिए यह सायकिल जर्मनी के बैरन कार्ल वान डाइस बेरेंस ने 1817 में बनाई थी। 21 मई 1819 में न्यूयॉर्क की सड़कों पर पहली बार साइकिल देखी गई थी, अमेरिका ने इसे लंदन से आयात किया था। इसके पश्चात 1860 में फ्रांस में पेडल-चेन व बैठने के लिए सीट लगाकर इसे थोड़ा और आरामदायक बना दिया गया। इसके कई वर्षों के बाद 1977 में गियर वाली साइकिल ने यूरोपीय बाजार में अपना स्थान बना लिया था।
साइकिल चलाने में सबसे बड़ी दिक्कत यह है ,कि हर किसी शहर में ना तो साइकिल ट्रैक बने हुए हैं, और ना हीं सड़कों पर सिल्वर-व्हाइट पेंट की मार्किंग की गई है। ऐसे में साइकिल चलाने वालों को तेज रफ्तार कार व बाइक चलाने वालों के साथ ही सफर पूरा करना पड़ रहा है। इसमें दुर्घटना की काफी संभावनाएं बनी रहती है। उज्जैन में इस दिशा में हीरा मिल क्षेत्र में साइकिल ट्रैक बना है तथा साथ ही महानंदा नगर एरिया के चारों ओर भी साइकिल ट्रैक बन चुका है। साथ ही पिछले दो वर्षों में भारत सरकार साइकिल चलाने के लिए स्मार्ट सिटी में साइकिल प्रतियोगिता भी करवा रही है।
अब निश्चित ही साइकिल के प्रति जागरूकता बढ़ने व बढ़ाने की महती आवश्यकता है, क्योंकि साइकिल चलाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है, ईंधन की आवश्यकता नहीं प्रदूषण मुक्त होती है। एक उम्र के बाद इससे मोटापे व जोड़ों में दर्द की समस्या भी नहीं होती है। अतः धन की बचत और बेहतर स्वास्थ्य के लिए कम दूरी की यात्रा साइकिल से ही पूरी करना चाहिए। कुछ लोग साइकिल से यात्रा करने में भी पीछे नहीं हैं, ये लोग अनिवार्य रूप से नियमित 1 घंटे साइकिल चलाते ही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार साइकिल स्वास्थ्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण परिवहन सिद्ध हो चुका है। सप्ताह में 2 दिन साइकिल चलाओ अच्छा स्वास्थ्य बनाओ। साइकिल चलाने के लिए शर्म नहीं, संकल्प करो कि हमें अपना स्वास्थ्य सुधारना है। संकल्प लेने की आवश्यकता है।
Dr. B. R. Nalwaya
Ex. Principal, Govt.
College, Mandsaur(MP)