Saturday, May 3, 2025
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होमराज्यउत्तर प्रदेशवरींन शिप मैनेजमेंट - जहां इंसानियत, सेवा और समर्थन है प्राथमिकता*

वरींन शिप मैनेजमेंट – जहां इंसानियत, सेवा और समर्थन है प्राथमिकता*

*वरींन शिप मैनेजमेंट – जहां इंसानियत, सेवा और समर्थन है प्राथमिकता*

बुलंदशहर :- विकेश उपाध्या य सिर्फ एक कंपनी के डायरेक्टर नहीं हैं, बल्कि वो वो मार्गदर्शक हैं जो अपने हर कर्मचारी को परिवार का हिस्सा मानते हैं। उनका मानना है – “कर्मचारी सिर्फ काम करने वाले हाथ नहीं होते, वो सपनों को पूरा करने वाले लोग होते हैं – और उन सपनों को साकार करने की ज़िम्मेदारी हमारी भी है।” नितिन राजपूत जैसे युवाओं को जब जीवन में दोराहा मिलता है – एक तरफ सपनों का संसार, दूसरी तरफ परिवार की ज़िम्मेदारियाँ – तब ऐसे युवाओं को सहारा देने के लिए जो हाथ बढ़ता है, वो हाथ विकेश उपाध्याय का है। विकेश उपाध्याय जी ने सिर्फ नितिन को नौकरी नहीं दी – उन्होंने उसे एक नई उम्मीद, एक नया हौसला और विश्वास दिया कि जो इंसान अपने परिवार के लिए अपने सपनों को कुर्बान कर सकता है, उससे बड़ा योद्धा कोई नहीं। उनकी कार्यशैली में अनुशासन है, पर साथ में अपनापन भी। जहाँ हर स्टाफ को यह महसूस होता है कि “मैं इस कंपनी का हिस्सा नहीं, बल्कि इसका हृदय हूं।” नितिन जैसे कितने ही युवाओं को उन्होंने न सिर्फ मौका दिया, बल्कि उन्हें मानसिक और भावनात्मक स्तर पर भी मज़बूत बनाया। उनकी सोच यही रही है कि कंपनी तभी आगे बढ़ती है, जब उसके लोग दिल से जुड़ते हैं।
अमोल गोसावी – वो नाम जो मुंबई जैसे महानगर में “पिता-सा सहारा” है। जब आप किसी बड़े शहर में अकेले होते हैं, तो सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है – किसी अपने की… कोई ऐसा जो बिना शर्त, बिना अपेक्षा मदद करे। और अमोल गोसावी बिल्कुल वैसे ही इंसान हैं। मुंबई में शिवसेना के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। लेकिन उससे कहीं ज़्यादा – वो हर उस युवा के अभिभावक हैं, जो मुंबई जैसे शहर में पहली बार कदम रखता है, बिना किसी जान-पहचान के, सिर्फ उम्मीद लिए। जब नितिन राजपूत मुंबई पहुँचे, तब अमोल गोसावी जी ने उन्हें सिर्फ एक सहकर्मी नहीं माना, बल्कि एक बेटे की तरह अपनाया। भोजन, रहने की व्यवस्था, आर्थिक मदद, मानसिक समर्थन – उन्होंने वो सब किया जो एक पिता अपने छोटे भाई के लिए करता है। “मदद वहीं सच्ची होती है जहाँ बदले में कुछ ना मांगा जाए।” और अमोल गोसावी की मदद बिल्कुल वैसी ही थी – निस्वार्थ, निःस्वार्थ, निशब्द।
*मुंबई में हजारों युवाओं को उन्होंने आगे बढ़ने का मौका दिया है*
कोई नया आता है, तो उसका रुकने का इंतज़ाम हो या कोई परेशानी में हो तो उसे सलाह देना – अमोल गोसावी हमेशा खड़े रहते हैं। उनका फ़ोन कभी बंद नहीं होता, और उनका दरवाज़ा कभी किसी ज़रूरतमंद के लिए बंद नहीं होता।
*जब नेतृत्व और सेवा साथ आते हैं…*
विकेश उपाध्याय और अमोल गोसावी की जोड़ी एक आदर्श मिसाल है –
जहाँ एक ओर नेतृत्व है जो दूरदर्शिता और विश्वास से चलता है और दूसरी ओर सेवा है, जो दिल से जुड़ी होती है। इन दोनों ने मिलकर नितिन राजपूत जैसे एक युवा के जीवन को नई दिशा दी,
जिसका प्रभाव सिर्फ नितिन पर नहीं, बल्कि उन सभी पर पड़ता है जो इस प्रेरणा को सुनते हैं।

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